कम्पोस्ट
खाद से पर्यावरण सुरक्षा
मुझे खुशी है कि,
मेरा गाँव अब पहले की अपेक्षा बहुत साफ-सुथरा है। अब गाँव में जगह-जगह पर कूड़ा-कचरा
के ढेर व बिखरा हुआ गोबर नहीं दिखाई देता। हमारे “उजाला स्वयं सहायता
समूह” ने गाँव में फैली
गन्दगी से कम्पोस्ट खाद बनाने की एक अनूठी पहल की जिसके हमें सकारात्मक परिणाम मिले।
मेरा नाम श्यामलली है, मेरे पति का नाम श्री राम किशोर मौर्य है। मैं गाँव पूरे भुलई
पंडित का पुरवा, विनायकपुर, विकास खण्ड कुडवार, जिला सुल्तानपुर (उ.प्र.) की रहने वाली हूँ। मेरे दो बेटी और
दो बेटे हैं। वे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। मेरा गाँव अलीगंज से 2 कि.मी. तथा कुड़वार से 6 कि.मी. की दूरी
पर स्थित है। मेरे पास 5 बिस्वा जमीन है
जिससे परिवार का भरण-पोषण हो जाता है। मेरे पास एक गाय व एक भैंस है जिससे दूध के साथ-साथ
गोबर भी मिलता है। मैंने 2016 में विनायकपुर
कृषि वानिकी सहकारी समिति लि. सुल्तानपुर के गाँव पूरे भुलई पंडित का पुरवा में 10 महिलाओं को संगठित कर एक ”उजाला स्वयं सहायता
समूह“ का गठन किया और
छोटी-छोटी बचत करना प्रारम्भ किया। इस बचत से हमारे समूह के सदस्य आपस में लेन-देन
कर अपनी छोटी-छोटी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। हम प्रत्येक माह समूह की बैठक
करते हैं जिसमें, हमारी व गाँव की समस्याओं पर चर्चा करते हैं।
हमारे गाँव में हमेशा कचरा और गोबर से गंदगी फैली रहती थी जिससे बदबू, मच्छर व मक्खियों की भरमार रहती थी। वर्षा के दिनों में तो हमारे
गाँव का वातावरण और भी अधिक खराब हो जाता था। हमने इस समस्या को ठीक करने के लिए समूह
की बैठकों में कई बार चर्चा की।
समूह सदस्यों की जागरूकता को देखते हुये आई.एफ.एफ.डी.सी.
द्वारा सुझाव दिया गया कि अपने घरों के आसपास इकट्ठे कूड़ा-करकट, हरी सब्जियां की पत्तियाँ व गोबर का मिश्रण करके कम्पोस्ट खाद
बनायें तो गाँव की गंदगी भी मिटेगी और हमें पौष्टिक खाद भी मिल जायेगा। अब हमें रास्ता
दिखाई दिया तो हमने समूह के सदस्यों के साथ-साथ अन्य सदस्यों के साथ बैठकर कम्पोस्ट
खाद बनाने का निर्ण्ाय लिया। हमने गाँव में इधर-उधर फैली हरी पत्तियां, पैरा, भूसा, बेशरम, मदार, जामुन, जलकुम्भी तथा गोबर को इकट्ठा
करके परत दर परत गड्ढे में डालकर ऊपर से मिटटी डाली। इसी प्रक्रिया से 6-7 परतें बनाईं और
ऊपर से फिर गोबर डालकर बोरे से ढक दिया। इसकी हर 5 से 6 दिन पर गुड़ाई करते रहे। यह प्रक्रिया दो से ढाई महीने करने के
पश्चात्, हमारी खाद तैयार हो गई जो कि, हर प्रकार से पौष्टिक
और रसायन रहित थी। अब हम यह खाद पूरे साल तैयार करते हैं। 1 से 1.5 कुन्तल कम्पोस्ट
खाद 5 बिस्वा खेत के लिये पर्याप्त होती है तथा हमें अन्य खाद डालने
की जरूरत नहीं पड़ती। यदि इस कम्पोस्ट खाद का मूल्यांकन किया जाये तो 1 कुन्तल कम्पोस्ट खाद लगभग 300 से 400 रुपये की होती है। अभी तक हम सबने मिलकर कुल 2627 कुन्तल कम्पोस्ट खाद बनाकर हमारे खेतों में उपयोग किया जिसका
मूल्य लगभग 10.50 लाख रुपये है।
कम्पोस्ट खाद हमारे लिये एक वरदान सिद्ध हुई
है। गाँव में फैले गोबर, कचरा आदि का सदुपयोग हुआ
और इसके प्रयोग से उत्पादित साग-सब्जी काफी पौष्टिक, गुणवत्तायुक्त
एवं हानिकारक रसायनों से रहित मिल रही हैं। इस कम्पोस्ट खाद को गेहूँ, धान व सब्जी में डालते हैं तो दानों व फलों में अधिक चमक आती
है तथा मिटटी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाकर उत्पादन को बढ़ाती है। इसलिये हम उजाला समूह की सभी
सदस्य अब घर-घर कम्पोस्ट खाद बनाते हैं तथा उसी खाद का प्रयोग हमारी फसलों में करते
हैं। रासायनिक खाद जहां 10 किलो डालते थे वहीं कम्पोस्ट
2 किलो ही पर्याप्त होती है। इस प्रकार कम्पोस्ट खाद हमारे लिये
आय का स्रोत तथा पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों के समुचित प्रबंधन का एक सशक्त
साधन/माध्यम साबित हुआ है। अभी हमारे समूह के सदस्यों का यह प्रारम्भिक स्तर पर कार्य
है। आगे हम सभी समूह के सदस्य इस कम्पोस्ट खाद को इकटठा कर बेचने का भी कार्य करेंगे
ऐसी हम लोगों की अगामी योजना है। अब हमारा एक ही नारा है कि, “घर घर में कम्पोस्ट खाद बनाओ और मिट्टी में सोना उपजाओ”।