मसालायुक्त आजीविका

मसालायुक्त आजीविका

जब उचित मार्ग और प्रारंभिक हैंड होल्डिंग सहित सहायता प्रदान की जाये तो ग्रामीण महिलाओं में अपने जीवन और आजीविका में परिवर्तन लाने की पर्याप्त क्षमता होती है। यह कथन, इफको-टोकियो एकीकृत ग्रामीण विकास परियोजना-अजमेर (राजस्थान) में सच सिद्ध हो गया। यहाँ 13 महिलाओं के एक समूह ने अपना स्वयं सहायता समूह का गठन कर, रसोई के मसालांे के प्रसंस्करण और पैकिंग का कार्य प्रारंभ किया था। अब ये महिलायें अपने सामूहिक श्रम से अपनी आजीविका के लिए महत्वपूर्ण आय अर्जित कर रही हैं। अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अब वे अपने पतियों पर निर्भर नहीं हैं क्योंकि अब वे अपने दम पर कमाई कर रही हैं।

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 इफको-टोकियो एकीकृत ग्रामीण विकास परियोजना के क्रियान्वयन से पूर्व गाँव खरवा, जिला अजमेर की महिलाओं के सामने आजीविका सृजन एक बड़ा सवाल था। परियोजना गाँवों भवानीपुरा, रानीसागर, खरवा व जसवंतपुरा लहरी में परियोजना क्रियान्वयन के प्रारंभिक चरण में वहाँ की दैनिक उपभोग की जरूरतों की माँग व आपूर्ति का आंकलन किया गया था एवं विश्लेषण के आधार पर स्थानीय माँग की वस्तुओं की पूर्ति हेतु राधा किशन स्वयं सहायता समूहकी सदस्याओं से विस्तृत चर्चा हुई। इस समूह की महिलाओं ने मसालों के प्रसंस्करण व विपणन में अपनी रुचि प्रदर्शित की। तदानुसार, परियोजना ने सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से लिये गए निर्णय के अनुसार योजना तैयार की एवं आवश्यक सामान के साथ एक मसाला पीसने की मशीन स्थापित की। इन महिलाओं को मशीन को चलाने, मसाला पीसने, पैकिंग व विपणन करने जैसी तकनीकियों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण के उपरांत, समूह की सदस्यायें अपने घर के कार्यों को पूरा करने के बाद बचे हुए खाली समय में, मिर्च, हल्दी और धनियाँ के प्रसंस्करण का कार्य करने लगीं। प्रारंभिक स्तर पर, इस समूह ने स्थानीय बाजार में प्रसंस्कृत मसालांे के पैकेट की बिक्री शुरू की जिससे इनको 5,000/- से 6,000/- रुपये प्रति माह की दर से छः माह की अवधि में लगभग 55,000/- रुपये का लाभ हुआ। इसने इस समूह की सदस्याओं को प्रोत्साहित किया और वे अपने इस लघु उद्योग में अधिक समय समर्पित करने लगीं जिससे उनकी आमदनी भी माह दर माह बढ़ती जा रही है। आई.एफ.एफ.डी.सी. ने जयपुर (राजस्थान) व भोपाल (मध्य प्रदेश) में आयोजित आदि महोत्सव” (आदिवासी मेला) में इस समूह को अपने स्टाॅल लगाने में सहायता प्रदान की। इन मेलों में मसालों की बिक्री से इनको 17,645 रुपये की आय हुई। साथ ही, आई.एफ.एफ.डी.सी. ने स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के लिए एफ.एस.एस.आई. लाइसेंस प्राप्त करने में भी मदद की। अब यह समूह अच्छी व आकर्षक पैकिंग में मसालों का विपणन कर अपने बाजार का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। इस समूह की अध्यक्ष सुश्री पूजा कहती हैं हमने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि, हमारे अपने स्वयं के लघु उद्योग होंगे। यह वास्तव में हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है जो इफको-टोकियो की सी.एस.आर. परियोजना द्वारा प्रदान की गई है। हम इफको-टोकियो कम्पनी व आई.एफ.एफ.डी.सी. के आभारी हैं और हम अपनी आजीविका को निरंतर रूप से अर्जित करने के लिए आश्वस्त हैं।