मधुमक्खी पालन बना आय का अतिरिक्त साधन

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रायबरेली जनपद की मलिकमऊ एवं खजुरो कृषि वानिकी समिति द्वारा अपने कार्यक्षेत्र की 25 महिला स्वयं सहायता सदस्यों के आय अर्जन हेतु मधुमक्खी पालन कार्यक्रम का प्रारम्भ सितम्बर 2018 में कराया गया। प्रारंभ में दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान बक्शी का तालाब लखनऊ में 5 दिन का मधुमक्खी पालन विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्य में बी-पॉजिटिव नामक संस्था ने सहयोग दिया। प्रशिक्षण के उपरान्त इन सदस्यों को 125 बक्से दिये गये। इन बक्सों के अलावा मधुमक्खी पालन से सम्बन्धित अन्य आवश्यक उपकरण जैसे कैप, दस्ताना, ब्रश, शहद निकालने की मशीन, स्मोकर, हाइबटूल, झन्ना कटर, एक्सट्रैक्चर नेट, चाकू, एप्रेन बीबेल, फीडर, ट्रे इत्यादि प्रदान किये गये। मात्र 5 महीने की अवधि में इन महिलाओं ने 6.40 कुन्तल शहद प्राप्त किया जिसे बाजार में बेचने से 72000 रुपये से अधिक की आमदनी हुई। आने वाले समय में इस कार्यक्रम को और अधिक विस्तार किया जायेगा। ये महिलायें इस कार्यक्रम में सभी कार्य स्वयं करती हैं और अपने अनुभवों को आसपास के सदस्यों के अलावा गुडगाँव में विश्व मधुमक्खी पालन दिवस के अवसर पर अन्य सदस्यों को भी साझा किया। गुडगाँव जिले के राष्ट्रपति आदर्श ग्राम परियोजना के गावों में भी इन महिलाओं द्वारा वहां के सदस्यों को मधुमक्खी पालन कार्यक्रम संचालित करने हेतु प्रेरित किया। 



ddयह कहानी उन महिलाओं की है जो कि बेरोजगार थी और अपने घर से कभी बाहर नहीं निकलती थीं परन्तु आई.एफ.एफ.डी.सी. के सहयोग से मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग कराई गई तथा मधुमक्खी पालन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मलिमकऊ की श्रीमती ऊषा शर्मा का कहना है कि मधुमक्खी को देखकर बहुत खुशी होती है एवं ऐसा लगा कि अब हमें एक रोजगार मिल गया है। बड़ी लगन के साथ हम लोग उनकी देखभाल करने लग गये हैं। आज उन्हीं  डिब्बों से जब हम शहद निकालने लगे तो बहुत ही खुशी हुई। आज हमें गर्व हो रहा है कि हम भी बहुत कुछ कर सकते हैं। अब ऐसा महसूस होने लगा है कि मधुमक्खी पालन एक अच्छा व्यवसाय है जिससे घर बैठे चार पैसे कमा सकते हैं। हम सभी महिलायें बहुत ही लगन, निष्ठा व ईमानदारी से इस कार्य को करते रहेंगे और आगे भी ज्यादा से ज्यादा अपने क्षेत्र में मधुमक्खी पालन कार्यक्रम का विस्तार करेंगे।