हमारा अपना सामुदायिक भवन
वर्ष 2015 की बात है गंाव छायन प्रतापगढ़ (राजस्थान) में आई.एफ.डी.सी. संस्था के कुछ अधिकारीगण आये] गंाव के लोगों से चर्चा की और कहा कि आपके गांव में कोई संस्था या समूह है या कोई परियोजना चल रही है तो गांव वालों का जबाव था] नहीं। वास्तव में उस समय गंाव में कोई भी संस्था या समूह नहीं चल रहा था। लोगों का जीवन यापन खेती-किसानी व मजदूरी पर निर्भर था।
उनका रहन-सहन] खान-पान बिल्कुल साधारण था। दो-तीन जोड़ी कपड़े] उसी को धोना व सुखाना] मक्के की रोटी और खट्टी छाछ बस ये खाना। महिलाऐं पढ़ी-लिखी नहीं हैं] केवल गंाव के लड़के ही पढ़ने जाते थे वो भी कुछ एक दो घरों के बाकी तो मवेशियों को मगरों में चराने और मजदूरी करने जाते थे] लड़कियों को स्कूल कम भेजा जाता था। वे घर का काम व मवेशियों को चराने जंगल जाती थीं। उनका मानना था कि लड़की पढ़-लिखकर क्या करेंगी] हमारी तरह ही दूसरे के घर जाकर चूल्हा-चक्की व बच्चे व घर सम्भालना है] पढ़-लिखकर कलेक्टर तो नहीं बनना है। इनके घरों की हालत ऐसी थी कि एक ओर मवेशियों को बांधते और दूसरी तरफ खुद रहते व खाना बनाते। यदि काई मेहमान आ गया तो पड़ाल में सुलाना पड़ता और यदि घर या गंाव में कोई सार्वजनिक कार्यक्रम या त्यौहार हो तो इन्हें गांव में खाली जमीन पर सभी सामाजिक कार्यक्रम करने होते थे।
अब ऐसा नहीं है क्योंकि वर्ष 2015-16 में जब हमारे गांव में आई.एफ.एफ.डी.सी. संस्था ने इफको-टोकियो समन्वित ग्रामीण विकास परियोजना के अन्तर्गत सामुदायिक भवन बनाने का प्रस्ताव रखा तो हम खुशी से झूमने लगे। गांव में एक सामुदायिक भवन व तीन दुकानों का निर्माण किया गया है।
सामुदायिक भवन बनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि ग्रामवासियों को एक ऐसा प्लेटफार्म देना जहां पर सामूहिक सामाजिक कार्यक्रम किये जायें] सामूहिक बैठक हों] महिला समिति की बैठकें हों] स्वयं सहायता की बैठकें हों] सामाजिक कार्य करने के लिए सभी लोग बैठकर सामूहिक निर्णय ले सकें] साथ ही किसान भाईयों के लिऐ खाद] बीज का भण्डारण करके लोगों को समय पर उपलब्ध करा सकें] विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी कर सकें] आय अर्जन गतिविधियों का भी यहां पर समावेश हो ताकि छोटे-छोटे व्यवसाय चला सकें] और महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा सकें और सामुदायिक भवन की आमदनी होती रहे और उसी से इस भवन की देखरेख का कार्य भी नियमित रूप से चलता रहे।
जिस उद्देश्य को लेकर इफको-टोकियो समन्वित ग्रामीण विकास परियोजना ने गंाव में सामुदायिक भवन बनवाया था वर्तमान में वो सभी कार्य इस सामुदायिक भवन में हो रहे हैं।
पिछले एक वर्ष में इस सामुदायिक भवन की आय निम्न रहीः-
क्रमांक | कार्य विवरण | राशि |
1 | खाद बिक्री | 600.00 |
2 | सब्जी बीज | 350.00 |
3 | टेन्ट | 6500.00 |
4 | आटा चक्की | 800.00 |
5 | प्रशिक्षण कार्यक्रम और सामाजिक कार्यक्रमों से | 1500.00 |
कुल आय | 9750.00 |
इस भवन का संचालन महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समिति द्वारा किया जा रहा है। इस समिति से 110 महिलाऐं जुडी हैं इनका अपना बैंक खाता है जिसमें शेयर राशि तथा आय अर्जन गतिविधियों से होने वाली छोटी-छोटी आमदनी जमा की जाती है। आज इनके पास 24000 रुपये जमा हैं। उम्मीद ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आगे आने वाले समय में यह सामुदायिक भवन महिलाओं को रोजगार देने में सक्षम होगा क्योंकि सामुदायिक भवन इतना बड़ा है कि यहां पर धीरे-धीरे छोटे-मोटे व्यवसाय चलते रहेंगे और लोगों का जुड़ाव होता रहेगा।