मिर्च के उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर
है। भारत अपने कुल मिर्च उत्पादन का 5% अन्य देशों को निर्यात करता है।
आंध्र प्रदेश का गुंटूर जिला देश का सबसे बड़ा मिर्च उत्पादक जिला है। देश का कुल 30% मिर्च गुंटूर में ही
उत्पादित होता है। मिर्च न केवल हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा है बल्कि यह कई गुणों
से भरपूर होने के कारण सेहत के लिए भी लाभदायक है। सेहत के गुणों के खजाने से भरी
मिर्च को मसाले, दवाई और अचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें
विटामिन ए, सी, फॉस्फोरस एवं कैल्शियम पाया जाता
है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
ओडिशा राज्य के गंजाम जिले की पुरुषोत्तमपुर तहसील
में एक छोटा सा गाँव है मेढापल्ली, जो कि खालीकोट विधानसभा क्षेत्र
एवं आस्का संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पुरुषोत्तमपुर सभी प्रमुख आर्थिक
गतिविधियों के लिए मेढापल्ली का निकटतम शहर है, जो कि 10 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित है। गांव में कुल 95 परिवार हैं जो कि बेहद शांतिपूर्ण
एवं आपस में मिलजुलकर रहते हैं। इस गाँव के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि
एवं मजदूरी है। शिक्षा, बेरोजगारी, कृषि तकनीक का अभाव एवं
सिंचाई के पानी की कमी यहाँ की प्रमुख समस्यायें हैं।
मेढापल्ली गांव की कुल जनसंख्या 629 है, जिसमें पुरुषों की
संख्या 361 एवं महिलाओं की संख्या 268 है।
वर्ष 2019-20 में कोरोना महामारी के दौरान
चीजें इतनी अच्छी नहीं थीं, ग्रामीण सामान्य स्थिति में नहीं
थे। रोजगार के अभाव एवं विपरीत परिस्थितियों में लोग डरे एवं सहमे हुये थे। लोग
इन विपरीत परिस्थितियों में आशावादी, परिश्रमी एवं आगे बढ़ने की
इच्छा-शक्ति रखते थे लेकिन तकनीकी जानकारी एवं संसाधनों के अभाव के कारण बहुत
लाचार, हीन, वेवश महसूस करते थे। ग्रामीण खरीफ
फसल में वर्षा पर आधारित होकर सामान्य तरीके से खेती करते थे वो भी भगवान भरोसे
यदि वर्षा होती तो धान होता और यदि नहीं हुई तो धान की बहुत ही कम पैदावार होती।
इसी अवधि में आई.एफ.एफ.डी.सी. द्वारा इफको-ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना के
अंतर्गत इस गांव में प्रवेश होता है। प्रारम्भ में आई.एफ.एफ.डी.सी. के स्टाफ
द्वारा सभी ग्रामीणों के साथ बैठक की गई जिसमें सभी ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा
कि हम सभी खरीफ फसल में धान की खेती करते हैं और कुछ किसान जिनके पास स्वयं का
पानी का साधन है वे मिर्च, बैगन आदि पैदा करते हैं वह भी
सीमित क्षेत्र में। ग्रामीणों ने कहा कि यदि आप हमारे यहाँ पर कोल्ड स्टोरेज बनवा
देंगे तो हम यहाँ पर मिर्च एवं अन्य सब्जियों की खेती करना प्रारम्भ कर देंगे। सभी
ग्रामीण उक्त बात पर अडिग थे कि हमें इसके सिवाय कुछ नहीं चाहिए। ग्रामीणों के
मिजाज एवं समय के माहौल को देखते हुए आई.एफ.एफ.डी.सी. स्टॉफ वापस आ गया। पुनः दो
दिन बाद मेढापल्ली में ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजित की गयी, इस बैठक में प्रत्येक
पहलू पर ग्रामीणों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। ग्रामीणों ने कहा कि हमको
सब्ती आदि का उचित दाम नहीं मिलता है, 5 रुपये किलो हरी मिर्च बिकती है, जिससे हमारी खेती में
लगी लागत भी वापस नहीं मिलती। जबकि बाजार में हरी मिर्च 40 रुपये किलो बिकती है।
इसके साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि यहाँ पर सिंचाई संसाधन, उचित प्रबंधन, कीट नियंत्रण, तकनीकी जानकारी का अभाव
तथा विपणन आदि की भी समस्यायें हैं।
इन सभी समस्याओं के निराकरण हेतु आई.एफ.एफ.डी.सी.
द्वारा वर्ष 2019-20 में 12 किसानों दया प्रजाति का मिर्च का
बीज, 3 किसानों को बैगन का बीज तथा 2 किसानों को करेला का
बीज उपलब्ध कराया गया जिसमें किसानों से बीज के मूल्य का 25% परियोजना के
नियमानुसार भागीदारी भी ली गई। तत्पश्चात् कृषि विभाग एवं आई.एफ.एफ.डी.सी. के
स्टॉफ की देखरेख में नर्सरी तैयार कर उक्त सब्जी का तकनीकी रूप से पौधरोपण कराया
गया। पानी की समस्या के समाधान हेतु इफको-आर.एल.डी.पी. के तहत् एक बोरवैल कराकर
पंपसेट, सिंचाई पाईप एवं स्प्रे मशीन ग्रामीणों को उपलब्ध
कराई गई। त्वरित गति से किये गये इन सभी संसाधनों के सहयोग से ग्रामीणों में एक
आशा की किरण का उदय होना प्रारंभ हुआ। प्रथम वर्ष 2019-20
में 15 हैक्टेयर पर ग्रामीणों ने सब्जी की खेती की जिसमें
सबसे ज्यादा मिर्च की खेती थी। समय के साथ-साथ फसल बढ़ रही थी और किसानों को अच्छे
दामों पर मिर्च और अन्य सब्जी को कैसे बेचा जाये की चिंता सता रही थी। इस समस्या
के समाधान हेतु आई.एफ.एफ.डी.सी. द्वारा ग्रामीणों के साथ बैठक की गई तथा बैठक में
सामूहिक रूप से निर्णय लिया गया कि जब भी कोई व्यापारी गांव की सब्जी खरीदने के
लिए आयेगा तो सभी ग्रामवासी व्यापारी से मोलभाव करके एक साथ ही अपनी मिर्च बेंचेगे
अलग-अलग नहीं। गांव के सभी लोगों ने ऐसा ही किया और गांव में दो दिन तक व्यापारी
डेरा डाले रहे। यह देखकर व्यापारी अचंभित रह गये और सोचने लगे कि पहले तो ये लोग
ऐसा नहीं करते थे, अब क्या हो गया है। तभी ग्रामीणों ने आई.एफ.एफ.डी.सी
के बारे में बताया और सभी किसानों ने मिलकर बिक्री की और व्यापारी जो पहले 5 रुपया प्रति किलो
खरीदते थे अब उन्होंने पहली बार 22-30 रुपये प्रति किलो की दर से खरीद
कर भुगतान किया। इस बार गांव में पहली बार औसत पैदावार 200-220
क्विंटल प्रति हैक्टेयर हुई और किसानों को प्रति हैक्टेयर लगभग 2 लाख से 2.50
लाख शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ, जबकि पहले किसानों की लागत भी
वापिस नहीं आती थी। यह सब ग्रामीणों को सपना जैसा लगा। मिर्च की खेती करके
ग्रामीणों को तत्काल फायदा हुआ जिससे वे काफी उत्साहित हुए।
मेढापल्ली गांव के किसानों एवं ग्रामीणों के उत्साह
को देखते हुए वर्ष 2020-21 में आई.एफ.एफ.डी.सी. तथा इफको-आर.एल.डी.पी. के
अंतर्गत कृषकों को मिर्च का बीज और बीज उपलब्ध कराया गया तथा सिंचाई सुविधा हेतु
एक बोरवैल और कराया गया तथा समय-समय पर तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध कराई गयी। मिर्च
की खेती में दो बार इफको नैनो-यूरिया को सागरिका के साथ मिलाकर स्प्रे कराया गया।
ऐसा करने से मिर्च की फसल देखते ही बनी। इससे किसानों द्वारा 8-10
बार हरी मिर्च को तोड़कर बिक्री की गई जिसमें 225-250
क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन हुआ। इसके चर्चे मेढापल्ली के आसपास के गांव
में होने लगे और आसपास के किसान मेढापल्ली में उनकी मिर्च की फसल को देखने के लिए
आने लगे। उन्होंने मेढापल्ली के ग्रामीणों से विस्तार से चर्चा की तथा अब आसपास के
किसानों द्वारा हरी मिर्च की खेती करना प्रारंभ कर दिया है और काफी उत्साहित हैं।
इस बार व्यापारियों द्वारा मेढापल्ली आकर 60 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम
में मिर्च की खरीद की गई जिसमें किसानों को 3 लाख से 3.5 लाख रुपये प्रति
हैक्टेयर का शुद्ध लाभ मिला है। अब मेढापल्ली ग्राम में खरीफ में धान की खेती भी
लाईन विधि से करना प्रारम्भ कर दिया है। इस गांव के ग्रामीण और किसान भावुक होकर
उनकी आर्थिक स्थिति में आये इस बदलाव का श्रेय आई.एफ.एफ.डी.सी. को दे रहे हैं।
एक समय था जब इस गांव के किसान ठीक प्रकार से एक ही
फसल नहीं ले पाते थे परंतु आज का समय है कि इस गांव के किसान खरीफ में लाईन विधि
से धान एवं रबी में प्रमुख रूप से मिर्च की खेती कर रहे हैं और वर्ष में दो फसल पैदाकर निरंतर
प्रगति के पथ पर किसानों के जीवन में तीखी लगने वाली हरी मिर्च की मिठास घोल रहे
हैं।